Maa Baglamukhi Mandir

Baglamukhi or Bagalā (Sanskrit: बगलामुखी) is one of the mahavidyas (great wisdom/science), a group of ten Tantrik deities in Hinduism

Maa Baglamukhi Mandir

नलखेड़ा ( आगर मालवा ). आगर मालवा जिले के नलखेड़ा में लखुंदर नदी के तट पर स्थित है मां बगलामुखी का भव्य मंदिर। यह मंदिर धार्मिक व तांत्रिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। यहां का बगलामुखी हवन दुनियाभर में तंत्र साधना और अपने पर आए कष्टों को दूर करने के लिए प्रसिद्ध है। कहा जाता है कि जिस नगर मे मां बगलामुखी विराजित हो, उस को संकट देख भी नहीं पाता। बताते हैं यहां स्वयंभू मां की मूर्ति महाभारतकाल की है। यहां युधिष्ठिर ने श्रीकृष्ण के निर्देशन पर साधना कर कौरवों पर विजय प्राप्त की थी। यह स्थान आज भी चमत्कारों के कारण जाना जाता है। देश-विदेश से कई साधु-संत तंत्र साधना करते हैं। मां बगलामुखी वह शक्ति है जो रोग शत्रुकृत अभिचार तथा समस्त दुखों व पापों का नाश करती है। इस मंदिर में त्रिशक्ति मां विराजित है। ऐसी मान्यता है कि मध्य में मां बगलामुखी, दाएं मां लक्ष्मी तथा बाएं मां सरस्वती हैं। त्रिशक्ति मां का मंदिर भारतवर्ष में दूसरा कहीं नहीं है। बेलपत्र, चंपा, सफेद, आंकडे, आंवले तथा नीम एवं पीपल (एकसाथ) स्थित हैं। यह मां बगलामुखी के साक्षात होने का प्रमाण हैं। मंदिर के पीछे लखुंदर नदी (पुरातन नाम लक्ष्मणा) के किनारे कई संतों की समाधियां हैं। यह मंदिर में बड़ी संख्या में संतों के रहने का प्रमाण है।

Maa Baglamukhi
History and Significance:
The temple stands as a testament to her divine grace and the faith of countless devotees who have experienced her blessings.
Divine Sanctum
Our temple houses a beautifully adorned sanctum dedicated to Maa Baglamukhi. Within the sanctum, you will find an enchanting idol of Maa Baglamukhi
Prayers and Rituals
Regular prayers and rituals are conducted in accordance with the ancient scriptures to honor and invoke the divine presence of Maa Baglamukhi
Festivals and Celebrations
The Maa Baglamukhi Mandir is a vibrant hub of festive celebrations. Various festivals and auspicious occasions related to Maa Baglamukhi.

16 खंभों का 250 साल पुराना सभामंडप

मंदिर परिसर में 16 खंभों वाला सभामंडप है, जो 252 साल पहले संवत 1816 में पंडित ईबुजी दक्षिणी कारीगर श्री तुलाराम ने बनवाया था। इसी सभा मंडप मे मां की और मुख करता एक कछुआ है, जो यह सिद्ध करता है कि पुराने समय में मां को बलि चढ़ाई जाती थी। मंदिर के ठीक सम्मुख लगभग 80 फीट ऊंची दीपमालिका है। कहा जाता है कि इसका निर्माण महाराजा विक्रमादित्य ने करवाया था। मंदिर प्रांगण मे ही एक दक्षिणमुखी हनुमान का मंदिर, एक उत्तरमुखी गोपाल मंदिर तथा पूर्वमुखी भैरवजी का मंदिर भी है। मुख्य द्वार सिंहमुखी भी अपने आप में अद्वितीय है।

यह है मां का स्वरूप
मां बगलामुखी में भगवान अर्धनारीश्वर महाशंभों के अलौलिक रूप का दर्शन मिलता है। भाल पर तीसरा नेत्र व मणिजडि़त मुकुट व चंद्र इस बात की पुष्टि करते हैं। बगलामुखी को महारुद्र (मृत्युंजय शिव) की मूल शक्ति के रूप में माना जाता है। वैदिक शब्द बग्ला है उसका विकृत आगमोक्ता शब्द बगला अत मां बगलामुखी कहा जाता है। भगवती बगला अष्टमी विद्या है। आराधना श्री काली, तारा तथा षोडशी का ही पूर्व क्रम है। सिद्ध-विद्या-त्रयी में पहला स्थान है। मां बगलामुखी को रौद्र रूपिणी, स्तभिंनी, भ्रामरी, क्षोभिनी, मोहनी, संहारनी, द्राविनी, जिम्भिनी, पीतांबरा, देवी त्रिनेभी, विष्णुवनिता, विष्णु-शंकर भमिनी, रुद्रमूर्ति, रौद्राणी, नक्षत्ररूपा, नागेश्वरी, सौभाग्य-दायनी, सुत्र संहार, कारिणी सिद्ध रूपिणी, महारावन-हारिणी परमेश्वरी, परतंत्र, विनाशनी, पीत-वासना, पीत-पुष्प-प्रिया, पीतहारा, पीत-स्वरूपिणी, ब्रह्मरूपा कहा जाता है। बगलामुखी मंदिर में दूर होते हैं
इसलिए चढ़ाते हैं पीली वस्तुएं

मां की उत्पत्ति के विषय में प्राण तोषिनी में शंकरजी पार्वती को इस प्रकार बताया है-एक बार सतयुग में विश्व को विनिष्ट करने वाला तूफान आया। इसे देखकर जगत की रक्षा में परायण श्री विष्णु को चिंता हुई। तब उन्होंने सौराष्ट्र देश में हरिद्रा सरोवर के निकट पहुंचकर तपस्या शुरू की। उस समय मंगलवार चतुर्दशी को अद्र्ध रात्रि के समय माता बगला का अविर्भाव हुआ। त्रैलोक्य स्तभिनी महाविधा भगवती बगला ने प्रसन्न होकर श्रीविष्णु को इच्छित वर दिया, जिसके कारण विश्व विनाश से बच गया। भगवती बगला को वैष्णव तेजयुक्त ब्रह्मामास्त्र-विद्या एवं त्रिशक्ति भी कहा गया है। ये वीर रात्रि है। कालिका पुराण में लिखा है की सभी दसमहाविधाएं सिद्ध विघा एवं प्रसिद्ध विद्या है इनकी सिद्धि के लिए न तो नक्षत्र का विचार होता है और न ही कलादिक शुद्धि करनी पड़ती है। ना ही मंत्रादि शोधन की जरूतर है। महादेवी बगलामुखी को पीत-रंग (पीला) अत्यंत प्रिय है। यही कारण है की मां को ये पीली वस्तुएं चढ़ाई जाती है।

Maa Baglamukhi Mandir
4.7
Based on 4657 reviews
powered by Google
adarsh nayakadarsh nayak
08:16 05 Jul 23
The temple is beautiful, place is serene and you get a positive vibe.If you are travelling from Indore take the route via Ujjain. Or alternatively take a route from Shajapur if you plan to take Agra Bombay NH road.The Google map suggest a route from Maksi, do not take this route as you need to go on a single road through villages.The place is great I think it would be heavily crowded during Navratri
Shivraj KhacharShivraj Khachar
04:17 20 Mar 23
If u want to feel real spiritual energy, you must visit this place.This place has a kind of energy circle in which u can feel the power..The havan place where aahuti is mirchi is the most fascinating thing i have ever seen in my life
Anil MittalAnil Mittal
17:14 16 Mar 23
It was a nice drive with vide roads, windmills enroute, it was a soothing site and the darshan was also good with very less crowd.The road was good except for a small patch of 3-4 kms due to road expansion was going on, was slightly bad on the outer of Ujjain.Worth going to visit the place with 14 God's there.
nitesh Sharma (Nits.)nitesh Sharma (Nits.)
17:21 02 Feb 23
Jai Mata di 🙏🏻🙏🏻 spiritual place with blessings of maa Baglamukhi. Temple situated at Nalkheda village in Agar malwa district of Madhya Pradesh. Around 140 km from Indore. Can reach via maksi, shajapur or via Ujjain. Road connectivity is very good from both sides. Not much time in que for darshan. Noone ask for special puja or havan. If you interested then you may ask for special puja and havan. Energy at temple is awesome. Old Mahabharat time stories are prevalent here. Lord Krishna asked Yudhishthir to do prayers of goddess Baglamukhi and he will win the war for sure. Faith and devotion is always important.
Deep YadavDeep Yadav
07:28 11 Jan 23
One of the best place to visit near agar - malwa. I've been there twice and both times the vibes are amazing. Easily accessible by road and you're gonna enjoy the trip. There are multiple temples situated inside Baglamukhi mandir campus. One can enjoy the sunset near the river.One thing which management needs to take care of is cleaning near the ghats.
js_loader
Jai Mata Di
This website is for information and pujan service of Maa Baglamukhi